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Sunday, December 18, 2011

chehra ek bhav anek

हर युग में हर पीढ़ी ने अपनी भाषा गढ़ी है आज की तेज रफ़्तार वाली जिन्दगी या कहिये डिजिटल जिन्दगी में शब्दों की जगह संकेतो ने ले ली है.जो कंप्यूटर या मोबाइल में अपनी भावनाए व्यक्त कर रही है.इन्हें ही स्माइली कहते है.यानि खुशनुमा चेहरे .इनका सबसे पहले उपयोग अमेरिका के एक प्रोफेसर स्कोट इ फाल्मेन ने १९८२ में किया था .तब मात्र  दो स्माइली का उपयोग होता था मजाक के लिए :-) और गंभीर लहजे के लिए :-(  लेकिन खुशनुमा चेहरों का चलन १९६२ में ही हो चुका था .लेकिन आज हर एक भावना के लिए हज़ारो स्माइली है.आप मुस्करा रहे है उदास है आँख मार रहे हैं दिल टूट गया है.चिडचिडा रहे है सभी भावनाओं को बस एक स्माइली से व्यक्त कीजिये.आयी देखे कौन कौन से स्माइली आज कल प्रचलन में हैं और उनका क्या मतलब है.
१-:-) खुश
२-:-D  बेहद खुश
३  :-( उदास
४-:-C  बेहद udaas
5   :-P जीभ  चिढाना
६  ;^) बनावटी हंसी
७  I -O  जम्हाई
८  :-/ शक्की
९  I :-( नाराज
१०  8 -O स्तब्ध
११ <:-I मूर्ख
१२ %-( हक्का बक्का
इसके आलावा संचार की दुनिया में कब कौन कौन सा स्माइली प्रयोग करने लग जायेगा इसका कुछ पता नहीं है.और तो और गाड़ी चलाते वक्त भी भावनाए व्यक्त करने के लिए L E  D emetikoun आ गए है.वो वक्त ज्यादा दूर नहीं जब लोग कविताओ में लेखो में इन स्मिली का उपयोग करने लगेगे.वेसे संचार को बेहतर बनाने वाली कोई चीज खराब नहीं होती आप का क्या विचार है. 

Saturday, November 5, 2011

muskarahat

सब्जी वाला महिला से-बहन जी क्या आप एम् ए पास हो?
महिला (गर्व से)-हाँ पर तुमने केसे जाना?
सब्जी वाला-तभी आप टमाटर के  ऊपर आलू डलवा रही हैं..............



Wednesday, November 2, 2011

gajal

उनको देखा तो पलट आये जमाने कितने
फिर हरे होने लगे जखम पुराने कितने
मशवरा मेरी वसीयत का मुझे देते हैं
हो गए है कितने मेरे मासूम अपने
मेरे बचपन की वो बस्ती भी अजब बस्ती थी
दोस्त बन जाते थे एक पल में बेगाने कितने
कितनी खामोश है अब इन आँखों की गली
इनमे बसते थे कभी ख्वाब सुहाने कितने