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Saturday, November 5, 2011

muskarahat

सब्जी वाला महिला से-बहन जी क्या आप एम् ए पास हो?
महिला (गर्व से)-हाँ पर तुमने केसे जाना?
सब्जी वाला-तभी आप टमाटर के  ऊपर आलू डलवा रही हैं..............



Wednesday, November 2, 2011

gajal

उनको देखा तो पलट आये जमाने कितने
फिर हरे होने लगे जखम पुराने कितने
मशवरा मेरी वसीयत का मुझे देते हैं
हो गए है कितने मेरे मासूम अपने
मेरे बचपन की वो बस्ती भी अजब बस्ती थी
दोस्त बन जाते थे एक पल में बेगाने कितने
कितनी खामोश है अब इन आँखों की गली
इनमे बसते थे कभी ख्वाब सुहाने कितने

Tuesday, November 1, 2011

ek tukda muskan joke: jub mene dor bell bajayi

ek tukda muskan joke: jub mene dor bell bajayi

ek tukda muskan joke: jub mene dor bell bajayi

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ek tukda muskan joke: jub mene dor bell bajayi

ek tukda muskan joke: jub mene dor bell bajayi

jub mene dor bell bajayi

मुझे बहुत पीड़ा होती है
जब कोई घरेलू हिंसा की शिकार महिला दिखाई देती है
कितने क़ानून सरकार ने बनाये हैं
और शिकायत मिलने पर क़ानून बड़ी निष्ठां से निभाए हैं
लेकिन इन कानूनों का कोई प्रचार नहीं है
इसलिए बहन घरेलू हिंसा से बची नहीं है
हमने सोचा हम इस बात में लोगो की मदद करेगे
डोर बेल बजा कर लोगो को सचेत करेगे
बस हम पर चढ़ गया इस बात का जूनून
दूसरो की मदद करने में महसूस करने लगे सुकून
एक रात पड़ोस में सिकरवार साहब के यहाँ से चिल्लाने की आवाज आई
हमको लगा जेसे किसी बहन ने गुहार लगाई
जल्दी से दौड़ कर गए और डोर बेल बजाई
अन्दर से किसी महिला की गुर्राने की आवाज आई
हमने कहा दरवाजा खोलो हम दखल देने आये हैं
अपनी पीड़ित,दुखियारी बहन को बचाने आये हैं
अन्दर का नजारा देख हमारे होश उड़े हुए थे
पलंग के नीचे सिकरवार साहब घुसे हुए थे
सिकरवार मैडम के हाथ में किरकेट के स्टंप थे
हम ये सब देख कर दंग थे
सिकरवार मैडम ने साहब से कहा बाहर  निकलो
जो तुम्हे बचाने आये हैं उनसे तो मिल लो
सिकरवार साहब पलंग के नीचे से ही चिल्लाये
अरे आप हमें बचाने क्यों आये
में तो अक्सर ऐसी प्रक्टिस झेलता हूँ
घर का मालिक हूँ जहाँ मर्जी आये वहां रहता हूँ
बस भाइयो ये सुन कर हम अपना सा मुह ले  कर लौट  आये
जेसे लौट के बुद्दू घर को वापस आये


raakhi ki nautanki

भाइयो वैसे तो में एक शर्म सार इंसान हूँ
लेकिन अपने देश और देशवासियो से परेशान हूँ 
यहाँ हर चीज चल जाती है
या यूं कहो चलाई जाती है
आज कल राखी सावंत फिर अपने नए गाने को लेकर ड्रामा कर रही है
अन्ना हजारे या फिर दिग्विजय के पास जाने की दुहाई दे रही हैं
हमारी कालोनी में भी राखी के नए गाने का बड़ा जोर है
विरोध से ज्यादा समर्थन का शोर है
गिने चुने विरोधी पक्ष ने यह फ़रमाया
समाज पर गलत असर पड़ेगा ये समझाया
लेकिन राखी के समर्थक ये सुन कर चोंके 
राखी का पक्ष लेकर भोंके
उनका कहना कुछ इस प्रकार था की
जब अन्ना लोक पाल बिल मांग  सकता है
पप्पू पास हो सकता है
शीला जवान हो सकती है
मुन्नी बदनाम हो सकती है
सानिया पाकिस्तानी से शादी रचा सकती है
सात खून माफ़ हो सकते है
साल में बारह तरीको से प्यार हो सकता है
करेक्टर ढीला हो सकता है 
चोली के पीछे कुछ हो सकता है 
औरत जलेबी बाई हो सकती है
तो फिर राखी सावंत अपना बैंक क्यों नहीं लुटवा सकती 
बस यारो वैसे तो में शर्मसार इन्ससान  हूँ लेकिन पड़ोसिओ से pareshaan