में जब भी किसी महिला को गाडी चलते देखती हूँ,तो मन में उसके प्रति प्रशंसा , तरस और जलन तीनो भाव एक साथ आते है.प्रशंसा इसलिए इसलिए की वाह क्या बढ़िया गाडी चला रही है,तरस इस लिए की है केसे इसने सीखा होगा,और जलन इस लिए क्योकि में गाडी चलाना न सीख पायी .
मेरे पति ने वेगेन -आर खरीदी.कुछ तो चमचमाती कार के रूप ने मुझे लुभाया,कुछ आस पास के लोगो ने मुझे उकसाया .मेने भी गाडी चले का मन बना लिया.
पहले दिन गाडी सिखाने वाले ने" इनसे" कहा -अरे सर ये मैडम ध्यान नहीं देती है.ब्रेक की कहो तो एक्सीलेटर दबाती हैं.पति ने हमारा होसला बढाया.कहा कोई बात नहीं अबसे ध्यान रखना.धीरे र्धीरे हम गाडी सरकाना सीख गए .इसी में गर्व महसूस करके अपने आप को परफेक्ट समझने लग गए.
एक बार बच्चो ने कहा मम्मी आईसक्रीम खानी है.पति का मूड नहीं था हमने बच्चो से कहा बेठो गाडी में में खिला कर लाती हूँ.लेकिन थोडा रात में चलेगे.क्योकि तब रोड खाली मिलेगी
रात साढ़े दस बजे हमने गाडी निकली.और धीरे धीरे चलते हुए आईसक्रीम वाले के ठीक सामने बीच सड़क पर गाडी रोकी.जब तक हमने आईसक्रीम बनवाई तुब तक ट्रको की नो एंट्री खुल चुकी थी.और हमारे पीछे ट्रको की लाइन लग चुकी थी.होर्न की आवाज सुनी तो लोगो ने कहा गाडी हटा लो.हमने गाडी स्टार्ट की,गाड़ी स्टार्ट हो गयी लेकिन जेसे ही हम उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करे गाड़ी बंद हो जाये.हमने फिर कोशिश कीलेकिन नतीजा फिर वही जीरो.ट्रक वाले होर्न बजाये जा रहे थे और हमारे पसीने छूटे जा रहे थे.एक ट्रक वाला उतर कर आया बोला गाडी हटाओ न.हमने कहा चुप...........नहीं हटाती सड़क क्या तेरे बाप की है.वो गुस्से में वापस चला गया लेकिन शायद गाडी को मुझ पर तरस आ गया .बड़ी मशक्कत के बाद गाड़ी आगे बढ़ी तो हमसे ज्यादा लोगो को ख़ुशी मिली.वे समवेत चिल्लाये चल गयी चल गयी.मानो गोली चल गयी.बड़ी मुश्किल से हम घर वापस आये.पति चिंता से हमारा इन्तजार कर रहे थे देखते ही वो गुर्राए.हमने सारा मामला उन्हें एक सांस में कह सुनाया.बच्चो ने भी हमारे समर्थन में सर हिलाया.पति बोले नयी गाडी में क्या खराबी आ गयी देखते हैं.पति ने चेक किया और कहा क्या तुमने हैण्ड ब्रेक हटाया था.उफ़ ये तो मुझे याद ही नहीं रहा था.पति बोले सारा टायर घिस गया होगा.पति ने हैण्ड ब्रेक हटाया और कहा गाडी अन्दर रखो.हमने गाडी स्टार्ट की बस फिर वही गलती हो गई एक्सीलेटर जोर से दबा दिया.गाडी मेढक की तरह उछली और गराज की दीवार से जा टकराई.उसका आगे से हुलिया बिगड़ गया.पति बोले बस अब गाड़ी मत चलाना . गाडी से ज्यादा मुझे तुम्हारी और लोगो की चिंता है.बस भाइयो तब से में गाडी को हाथ नहीं लगाती हूँ.लेकिन किसी महिला को गाडी चलते देख कर बस आह भर कर रह जाती हूँ.
जब सीख लिया तो काहे को छोड़ दिया ? लगभग आ ही चुका था। शेष तो ऐसे ही आयेगा।...वैसे हमने कभी नहीं चलाया हां।
ReplyDeleteसेटिंग में जाकर Word verification हटा दें।