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Tuesday, November 1, 2011

jub mene dor bell bajayi

मुझे बहुत पीड़ा होती है
जब कोई घरेलू हिंसा की शिकार महिला दिखाई देती है
कितने क़ानून सरकार ने बनाये हैं
और शिकायत मिलने पर क़ानून बड़ी निष्ठां से निभाए हैं
लेकिन इन कानूनों का कोई प्रचार नहीं है
इसलिए बहन घरेलू हिंसा से बची नहीं है
हमने सोचा हम इस बात में लोगो की मदद करेगे
डोर बेल बजा कर लोगो को सचेत करेगे
बस हम पर चढ़ गया इस बात का जूनून
दूसरो की मदद करने में महसूस करने लगे सुकून
एक रात पड़ोस में सिकरवार साहब के यहाँ से चिल्लाने की आवाज आई
हमको लगा जेसे किसी बहन ने गुहार लगाई
जल्दी से दौड़ कर गए और डोर बेल बजाई
अन्दर से किसी महिला की गुर्राने की आवाज आई
हमने कहा दरवाजा खोलो हम दखल देने आये हैं
अपनी पीड़ित,दुखियारी बहन को बचाने आये हैं
अन्दर का नजारा देख हमारे होश उड़े हुए थे
पलंग के नीचे सिकरवार साहब घुसे हुए थे
सिकरवार मैडम के हाथ में किरकेट के स्टंप थे
हम ये सब देख कर दंग थे
सिकरवार मैडम ने साहब से कहा बाहर  निकलो
जो तुम्हे बचाने आये हैं उनसे तो मिल लो
सिकरवार साहब पलंग के नीचे से ही चिल्लाये
अरे आप हमें बचाने क्यों आये
में तो अक्सर ऐसी प्रक्टिस झेलता हूँ
घर का मालिक हूँ जहाँ मर्जी आये वहां रहता हूँ
बस भाइयो ये सुन कर हम अपना सा मुह ले  कर लौट  आये
जेसे लौट के बुद्दू घर को वापस आये


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