जिंदगियो के बसने के लिए चंद दीवारे ही बहुत होती हैं ............
इन्ही दीवारों के साए में मुहब्बत अरमानो के संग चैन से सोती है
दिन बसर यहीं होता है, शाम भी ढलती है यहीं
तेरे तस्सवुर की आगोश में मेरे वजूद की शमा जलती है यहीं
कैद हैं इसमें वफ़ा के कई अफ़साने
बिखरे हैं इसकी फिजा में चाहतो के कई नजराने
चार दीवारी न कहो मेरा ख्वाब गाह है ये
यहाँ देखे हैं मेने प्यार के कई हसीं जमाने
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